पतझड़ के बाद (भाग 1)
गोविन्द जी के परलोक सिधारने के बाद उनकी पत्नी को सांसें बोझ के समान लगती थीं।52 वर्षीय शोभा जी ईश्वर भक्ति और घर के कार्यों में बहुओं की सहायता में मन लगा कर अपना शेष जीवन बिता रही थी।यूं तो दो बेटे बहुओं और पौत्र के भरे पुरे परिवार का साथ था किंतु सभी अपने कार्यों में व्यस्त रहते किसी को समय ही नही था उनके पास बैठने का।
घर के पास एक मंदिर था जहाँ वे रोज भजन कीर्तन में जाया करती थीं।सुबह पास बने पार्क में भी वॉक करने जाती थीं।
एक रोज रात में हुई बारिश के कारण पार्क में ज्यादा लोग नही आए थे।वहाँ उनका ध्यान गया कि उन्ही के समान एक सज्जन टहलते समय अचानक लड़खड़ाते हुए पार्क की बेंच पर बैठ गए,शोभा जी ने उन्हें कई बार पार्क में टहलते देखा तो था परंतु उनसे कोई परिचय नही था।शोभा जी को लगा कि शायद उन्हें सहायता चाहिए।
वे उन सज्जन के पास गई तो देखा उनके चेहरे पर बहुत पसीना आ रहा था,उन्होंने साथ लाई बॉटल से उन सज्जन को पानी पीने को दिया,रुमाल से हवा की।पानी पीकर जब कुछ ठीक लगा तो उन्होंने कृतज्ञ भाव से शोभा जी को धन्यवाद कहा और बोले मेरा नाम आनंद गुप्ता है।रात से तबियत ठीक नही लग रही थी। मुझे लगा ताज़ी हवा से कुछ बेहतर महसूस होगा इसलिये वॉक के लिये चला आया।सहायता के लिए आपका धन्यवाद।
तो शोभा जी ने कहा –कोई बात नही,पर मेरे ख्याल से आपको अपने घर से किसी को बुला लेना चाहिए।तो आनंद जी बोले – मेरे बेटे बहू दोनों जॉब करते हैं और मैं अकेला ही रहता हूं।
पर अभी आपकी तबियत ठीक नहीं।मेरे ख्याल से आपको डॉ. से चेकअप करवा लेना चाहिए।आप कहाँ रहते हैं? शोभा जी ने पूछा तो बोले यही पास ही रहता हूं आराधना नगर में।बैंक में मैनेजर के पद से कुछ महीने पहले ही रिटायर हुआ हूं।
शोभा जी– मेरे सुझाव से आप पैदल न जाएं।मेन रोड से ऑटो मिल जायेगा।और डॉ.को जरूर दिखायेगा।
आनंद जी ने मुस्कुराकर सहमति में सिर हिला दिया।दोनों पार्क के गेट की ओर चल दिये।एक बार फिर धन्यवाद देकर आनंद जी ऑटो से अपने घर के लिये निकल गए।
अगले दो दिन आनंद जी टहलने नही गये।डॉ. ने उनको आराम की सलाह दी थी।एक दिन शाम के समय आनंद जी मंदिर के बाहर प्रसाद ले रहे थे तभी पीछे से आवाज आई – आनंद जी, अब आपकी तबियत कैसी है? पलटकर देखा तो शोभा जी थी।आनंद जी खुश होकर – अरे आप ? मैं तो ठीक हूँ , डॉ. ने रेस्ट का कहा इसलिए सुबह वॉक पर नही गया।हर शनिवार इस मंदिर आता हूं।आप कहाँ रहती हैं ?
शोभा जी – जी इसी मंदिर के पीछे वाली लाईन में।
अभी घर जा रही थी, आपको देखकर सोचा हालचाल ले लूं। चलती हूँ अब।नमस्ते जी।और शोभा जी चली गई।
अब जब भी सुबह वॉक पर आनंद जी और शोभा जी मिलते तो नमस्ते हो जाती।
एक दिन आनंद जी ने बताया कि उनके कुछ मित्र और पड़ोसी मिलकर इसी पार्क में हास्य क्लब शुरू करने वाले हैं जिसमें उन्ही की उम्र की महिलाएं भी होंगी । साथ ही हास्य क्लब में शामिल होने का अनुरोध भी किया ।
शोभा जी ने कहा अभी तो नही, बाद में देखते हैं।
आपके परिवार में कौन कौन है?आनंद जी के पूछने पर शोभा जी ने बताया मेरा नाम शोभा है । मेरे पति को गुजरे दो वर्ष हो गए हैं।दो बेटे बहू और उनके बच्चे, हम सब साथ रहते हैं। हमारा सिविल हॉस्पिटल के पास मेडिकल स्टोर है।
अच्छा है जी, परिवार का साथ है आपको।मेरी पत्नी छह बरस पहले हार्ट अटेक के कारण चल बसी। एक बेटा है, ऑफिस में साथ काम करते उसे प्यार हो गया। शादी कर ली, बहू ने कहा मुझे अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना पसन्द है। तो दोनों मुझसे अलग श्यामला हिल्स में रहते हैं।कहते हुए उनके चेहरे पर उदासी छा गई।उदास तो शोभा जी भी हो गई थी क्योंकि वही जानती थी कि परिवार के साथ होते हुए भी वो अकेली ही है।
अगले दिन उन्होंने देखा पार्क के एक कोने में आनंद जी और उनके कुछ मित्र साथ में एक्सरसाइज कर रहे थे। साथ ही जोर से हंस रहे थे।शोभा जी को देख आनंद जी ने सबसे मिलाया ।रमेश जी और उनकी पत्नी राखी जी, परवेज़ जी और उनकी पत्नी आएशा , कमल जी सबसे मिलकर शोभा जी को अच्छा लगा , उन्होंने भी हास्य क्लब जॉइन कर लिया।धीरे धीरे शोभाजी सभी से काफी घुलमिल गई।और आनंद जी से तो उनकी कई सुख दुख की बातें भी होने लगी।एक अनजाना सा रिश्ता बन गया था उनके बीच।
कुछ दिन से शोभा जी वॉक पर नही आ रही थी।तो सबने साथ मिलकर उनके घर जाने का विचार किया ।पता पूछते पूछते उनके घर पहुंचे तो पता चला कि उन्हें टाइफाइड हो गया है और वो हॉस्पिटल में एडमिट हैं।
प्रीति ताम्रकार, जबलपुर(मप्र)
Rohan Nanda
15-Dec-2021 08:54 PM
Good story
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Fauzi kashaf
02-Dec-2021 11:18 AM
Good
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Hayati ansari
29-Nov-2021 09:58 AM
Good
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